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तेरी यादों के साये में!

तेरा धरती से यूँ जाना, 
मेरा धरती पर रह जाना,
अखरता है मुझे हर पल,
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना।
तू! अंबर का एक तारा है,
मैं धरती का हूँ बंजारा,
तू भटकती है रातों में, 
मैं दिन में भटकता हूँ ।।
तेरे चमकने में प्रियतम 
वो बात नजर नही आती, 
तेरी उदासी बादलों में, 
झलक जाती है।
धरा से दूर,अंबर में, 
तेरा एक आशियाना है।
तेरी यादों में ही प्रियतम, 
मेरा भी आशियाना है।
मुझे अच्छा नही लगता,
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना।
तेरी यादों के साये में, 
मेरा जीवन गुजर जाए,
मेरी तन्हाईयों में मुझको, 
तेरा साथ मिल जाए।
हिमांशु पाठक

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6 Comments

Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 11:42 AM

Nice

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Gunjan Kamal

31-Jan-2023 05:09 AM

बहुत खूब

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वानी

30-Jan-2023 02:26 PM

Nice

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